शिव गंग चली जग तारन को, शिवगंग भई जगतारन को हर गंग चली जग तारन को
कोई कहै हरि चरणों से निकली कोई कहे हरि नामन सौ शिव
साधु कहे हरि चरणों से निकली संत कहै हरि नामन सौ शिवगंग चली
तपस्या करके भगीरथ लाऐ तारन को परिवारन को शिव गंग चली
शिवगंग चली हरिद्वारन को बाहर बरस में भगीरथ लाए आकर शिवजी की जटा में बही शिवगंग
ऋद्धि सिद्धि लेकर गणपति आए जग में सिद्धि करावन को शिव गंग चली
ब्रह्म लोक से ब्रह्मा जी आए जग में सृष्टि रचावन को शिव गंग चली
पुष्प विमान चढ़ी विष्णु जा आए जग तारन, जग पालन को शिवगंग चली .....