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नवरात्रि व्रत कथा | द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी पूजा | Navratri Vrat Katha 2nd day Mata Brahmacharini

Author :GunjanSat Oct 05 2024

आज नवरात्रि का दूसरा दिन है, और इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह देवी तप और संयम की प्रतीक हैं, जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था।

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप: ब्रह्मचारिणी देवी संयम और कठोर तपस्या की प्रतीक हैं। उनके एक हाथ में जप माला और दूसरे हाथ में कमंडल है, जो ध्यान और साधना का संकेत है।

कथा: ब्रह्मचारिणी वह देवी हैं जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्होंने वर्षों तक केवल बेलपत्र खाकर अपने शरीर को जीवित रखा। उनकी साधना से प्रेरित होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।

पूजा का महत्व: इस दिन उनकी पूजा करने से हमें तप, साधना, और संयम की शक्ति प्राप्त होती है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो आध्यात्मिक साधना में प्रवृत्त होते हैं या जीवन में आत्मसंयम चाहते हैं।

ध्यान मंत्र: "दधाना कर पद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥"

"ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः"

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